शालू आंटी की रसीली चूत

शालू आंटी की रसीली चूत

शालू आंटी हमारी दूर की रिश्तेदार हैं। उनका फिगर ठीक किसी मिडिल क्लास फेमिली की औरत जैसा है, मगर न जाने क्यों मैं जब भी उन्हें देखता मन में गलत भावनाएं हिलोरे मारने लगी। साड़ी से उनके चूतड़ों के उभार देखा करता और सोचता कि काश कभी उन्हें छूने, सहलाने का मौका मिले तो मजा आ जाए। ब्लाउज में कसे उनके बड़े-बड़े बूब्स देखकर मन करता कि बस मुंह लगाकर सारा रस निचोड़ लूं। मैं अकसर ककल्पना करता कि कैसी होगी उनकी चूत। क्या उस बाल होंगे या वे साफ रखती होंंगी। कैसी होगी उनकी चूत की खुशबू। बस मैं खयालों में ही उनके साथ सेक्स करता और खुद को संतुष्ट करने की कोशिश करता। मगर उनके प्रति मेरा लगाव बढ़ता जा रहा था। मैं तरह तरह के प्लान बनाता कि कैसे उनके नंगे जिस्म से अपनीवासना की आग बुझाऊं और देर से ही सही मगर एक दिन मुझे मौका मिल ही गया।
उस दिन हमारे घर कोई कार्यक्रम था, जो देर रात चला। शालू आंटी का घर दूर था, इसलिए यह तय हुआ कि वे हमारे घर पर ही सोएंगी। मैने फैसला कर लिया था कि ये मौका हाथ से नहीं जाने दूंगा और मेरे शैतान दिमाग में उनकी चूत और चूतड़ छूने का एक आइडिया आ गया। शालू आंटी हमारे घर पर रुक गईं और अंदर वाले कमरे में एक बेड पर सो गईं। मैं बाहर मेन हाल में सो रहा था। मुझे नींद कहां आ रही थी। मन में तो बस शालू आंटी का जिस्म ही घूम रहा था। देर रात तक मैं करवटें बदलता रहा और इंतजार करता रहा कि आंटी गहरी नींद में सो जाएं। मुझे भरोसा था कि इतना काम करने के बाद वे काफी थक गई हैं और घोड़े बेचकर सोएंगी।
देर रात में जब सभी गहरी नींद में थे, मैं धीरे से उठा और शालू आंटी के पलंग के पास पहुंचा। उस समय वे एक करवट पर सो रहीं थी और उनका मुंह दीवार की तरफ था। उनकी ये पोजीशन देखकर मेरी हिम्मत थोड़ी खुल गई कि सोते हुए जब मैं उनके शरीर को छुंअगा तो अचानक जाग जाने पर भी वे मेरा चेहरा नहीं देख पाएंगी।
यही सोचकर मैं उनके पलंग के पास बैठ गया और धीरे से एक हाथ उनके पैरों पर रखा। थोड़ी देर तक मैने अपना हाथ उनके पैरों पर ही रखा रहने दिया। लेकिन वे वैसे ही सोती रहीं तो मैंने हाथ बढ़ाकर उनकी पिंडली पर रख दिया। सोने के कारण आंटी की साड़ी घुटनों तक सरक आई थी। मैने धीरे से उनकी पिंडली पर हाथ भी फिराया और जब विश्वास हो गया कि वे गहरी नींद में हैं अपना हाथ उनके उभरे हुए चूतड़ों पर रख दिया। हालांकि बीच में उनकी साड़ी का परदा था लेकिन मुझे उनके चूतड़ों के गुदगुदेपन का अहसास हो रहा था। थोड़ी देर तक मैं उनके चूतड़ों के ऊपर वैसे ही हाथ रखकर बैठा रहा फिर मैने धीरे धीरे उनके चूतड़ों के सहलाना शुरू किया। उनकी नींद में जरा भी खलल नहीं आया तब मैने साड़ी के ऊपर से ही उनके चूतड़ों के बीच की रेखा पर अपनी उंगली फिराई और हलके हाथों से उनके चूतड़ों को दबाने लगा। अब तक आंटी की नींद में ही थी। अब मेरा रहा सहा डर भी खतम हो गया और मैने उनकी पिंडली पर एक हाथ रखा और उनकी साड़ी को ऊपर सरकाने लगा। जैसे-जैसे आंटी की साड़ी ऊपर सरक रही थी मेरे दिल की धड़कन भी बढ़ती जा रही थी। घुटनों से थोड़ा ऊपर तक साड़ी आसानी से सरक गई इसके बाद नीचे दबी होने से और ऊपर सरकाने में जोर लगाना पड़ रहा था।
मुझे डर था कि इससे कहीं उनकी नींद न टूट जाए सो मैने उनकी साड़ी को और ऊपर सरकाना बंद किया और उनकी गोरी चिकनी जांघों को सहलाने लगा। आंटी की मोटी-मोटी व चिकनी जांघों को सहलाते सहलाते मैने अपना मुंह उनकी जांघों पर रख दिया और चूमने लगा। चूमते हुए मैं धीरे-धीरे जीभ निकालकर जांघों को चाटता भी जा रहा था। थोड़ी देर तक मैं उनकी जांघों को चूमता और चाटता रहा इस बीच उनकी साड़ी थोड़ा और ऊपर सरक गई थी। फिर मैंने अपना एक हाथ धीरे से उनकी साड़ी में सरकाया। उनकी चिकनी जांघों को सहलाते हुए मेरा हाथ सीधा उनकी चड्ढी से जा टकराया। उनकी चड्ढी को छूते ही मेरी धड़कने और भी तेज हो गईं। मैने उनकी चड्ढी में अपनी एक उंगली डाल दी। उफ उनके चूतड़ों की चिकनाई। मेरे मन में तुरंत उन्हे चूमने की इच्छा आ गई। मैं एक उंगली से उनके चूतड़ों को सहलाने लगा और चूतड़ों के बीच मेरी उंगली घुमने लगी। मेरी उंगली उनकी गांड पर पड़ी और मैने धीरे से उंगली से उनकी गांड में सुससुरी की तभी अचानक आंटी कसमसाई और मैने डर के मारे झट से हाथ उनकी साड़ी से खींचा और दूर सरक कर अंधेरे में बैठ गया।

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आंटी थोड़ा सा कसमसा कर फिर से सो गईं।
मैं भी थोड़ी देर तक इंतजार करने के बाद उनके पास गया और पहले उनके चूतड़ों पर साड़ी के ऊपर से हाथ फेरकर तथा उनकी चिकनी जांघों को सहलाकर देखा कि वे सो गईं हैं या नहीं। जब मुझे लगा कि वे सो गईं हैं तो फिर से इनकी साड़ी में हाथ सरकाते हुए उनकी चड्ढी को छुआ और उसमे उंगली डालकर उनके चिकने चुतड़ को सहलाने लगा। इस बार मैंने उनकी साड़ी को एक बार फिर ऊपर करने की कोशिश की और थोड़ा सा ही जोर लगाने पर नीचे दबी उनकी साड़ी निकल गई। तब मैने उनकी साड़ी को ऊपर तक सरका दिया । अब आंटी की काले रंग की चड्ढïी दिखने लगी थी। पहले तो मैने उनकी जांघों के ऊपरी हिस्से को चूमा फिर उनके चूतड़ों को चड्ढïी के ऊपर से चूम लिया। उनके चूतड़ों के बीच वाले हिस्से पर भी अपनी नाक घुमाई वहां से उनके पेशाब की गंध आ रही थी। मैने धीरे से उनकी चड्ढी के ऊपर इलास्टिक में एक उंगली डाली और नीचे तक खींच दिया। वैसे तो वंहा अन्धेरा था मगर जीरो का बल्ब जल रहा था और  रोशनी में अब आंटी के गोरे-गोरे चिकने चूतड़ नजर आ रहे थे। मैने झट से झुककर उनके चूतडो़ं को चूम लिया और चाटने लगा।
शालू आंटी  के चूतड़ वाकई लाजवाब थे मैैं थोड़ी देर तक तो उनके चूतड़ों को चूमता रहा फिर जीभ से चाटने लगा और उनके चूतड़ों के बीच वाले हिस्से पर जीभ फिराने लगा। इधर मेरी एक उंगली आंटी की चूत तक पहुंच गई थी। पीछे उनकी चूत का छेद था जब मैने अपनी उंगली से उनकी चूत के छेद को सहलाया तो उनके सारे शरीर में सिहरन सी दौड़ गई। मुझे लगा कि वेे जाग रहीं हैं सो मैने धीरे से उंगली उनकी चूत के छेद मे सरका दी इस बार उन्होने अपनी चूत को धीरे से भींच लिया। मेरा मुंह अभी भी उनके चूतडो़ं पर ही था मैने अपना मुंह उठाया और गौर से उनके चेहरे की तरफ देखा उनकी आंखे अभी भी बंद थी। मैने एक उंगली उनकी गांड के छेद पर रखी और धीरे से घुसा दी। आंटी ने तुरंत अपनी गांड को जोर से भींचा। मैं जान गया कि वे जाग रहीं हैं और सोने का नाटक कर रहीं हैं। मैं उनके बगल में लेट गया और अपना लंड निकाल कर उनके चूतड़ों के बीच रख दिया। फिर मैने एकदम कड़क लंड उनकी गांड से लगाया और घुसाने की कोशिश करने लगा। अभी मेरा लंड उनके नरम गरम चूतड़ों के बीच धक्के खा ही रहा था कि उन्होने हाथ घुमाकर मेरा लंड पकड़ लिया....
डर के मारे मेरी जान ही सूख गई। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या कहूं। आंटी ने अचानक जो हरकत की उसकी तो मुझे उम्मीद ही नहीं थी। आंटी फुसफुसाकर मगर कड़क स्वर में बोली,
ये क्या हो रहा है।
मैं एकदम से हकलाने लगा, क..क..कुछ नहीं आंटी।
अ'छा अपना लंड मेरी गांड के बीच रखकर कुछ नहीं कर रहे हो। यह कुछ नहीं कैसे होता है। अब आंटी के स्वर में थोड़ी शरारत थी।
मेरी जान सूख रही थी, मगर जिस तरीके से वे बात करने लगी, थोड़ी राहत भी मिली।
मैने कहा, आंटी मुझे माफ कर दो। मैं बहक गया था। अब कभी ऐसा नहीं करूंगा।
वे बोलीं, क्यों नहीं करोगे। नहीं करना था तो फिर आए ही क्यों थे। उनके हाथ में अब भी मेरा लंड था। उसे हिलाते हुए अपनी चूत के छेद पर टिकाकर बोलीं,
ये गांड में नहीं इसमें घुसाया जाता है।
अब मेरी जान में जान आई। मैं भी शरारत से बोला तो मैं कौन सा इसमें घुसा रहा था। मै अपनी उंगली उनकी गांड पर फिराते हुए उनकी चूत के छेद पर ले गया और कहा
जब इतनी प्यारी चूत सामने हो तो गांड में घुसाने में भला क्या मजा आएगा। लेकिन आपकी गांड भी है बड़ी मजेदार। आपके चूतड़ तो जी करता है खा ही जाऊं।
खाना खिलाना बाद में पहले अपना वो तो दिखाओ।
वो क्या?
अरे नालायक अपना लंड तो दिखा। साले तू तो बहुत बड़ा हो गया लगता है।
पकड़ तो आपने रखा ही है। ठीक से देखने के लिए ट्यूब लाइट जलानी होगी।
चलो बाथरुम में चलते हैं वहां लाइट जलाकर मैं तुम्हारा लंड भी देख लूंगी और तुम भी मेरी चूत भी देख लेना।
आंटी के मुंह से यह सुनकर मुझे एकदम से मस्ती छा गई। मैने कहा,
ठीक है आंटी जल्दी, चलो। आपकी चूत और गांड का दीदार करने को मैं बेचेन हो रहा हूं। आंटी मुस्कुरा दी और मेरा हाथ पकड़कर बाथरूम ले आईं। मैं सोच रहा था, आज मेरा सपना पूरा होने वाला है। कुछ ही देर में शालू आंटी की रसीली चूत और गोरे-चिकने चूतड़ मेरे सामने होंगे।

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बाथरूम में लाइट जल रही थी। मेरा लंड आंटी ने पकड़ लिया और गौर से देखने लगी। मैने पूछा
पसंद आया?
थोड़ा छोटा है, मगर ठीक है। गोरा और कड़क।
मेरा लंड तो देख लिया, अब अपनी चूत भी तो दिखाओ।
लो देख लो। ये कहकर आंटी ने अपनी साड़ी पेटीकोट सहित ऊपर उठा दी। उनकी चड्ढी तो मैं पहले ही नीचे सरका चुका था सो उनकी चूत दिखने लगी। उनकी चूत पर घने बाल थे, लेकिन रंग गोरा था। मैने उनकी चूत पर हाथ फिरा कर देखा वो काफी नर्म मुलायम थी। आंटी ने पूछा
अच्छी लगी?
हां बहुत अच्छी है, लेकिन बिना बालों के और भी अच्छी लगती।
अगली बार बाल साफ कर लूंगी। अभी तो ऐसे ही काम चलाना होगा।
नहीं बालों वाली चूत भी अच्छी लगती है, मगर चिकनी चूत हो तो चाटने में ज्यादा मजा आता है।
तो क्या तुम मेरी चूत चाटोगे?
जरूर क्यों  नहीं?
लेकिन उसी से पेशाब की जाती है, तुम उस पर मुंह रखोगे।
तो क्या हुआ पेशाब भी तो पानी ही होता है न? मैं तो कुछ और सोच रहा था।
क्या?
बाथरुम में तो हम आ ही गए हैं और आपको पेशाब भी लगी होगी?
हां लगी तो है। बल्कि मैं तो अब पेशाब करके ही आउंगी। तुम चलो।
नहीं मैं यहीं रुकुंगा।
क्यों? क्या तुम मुझे पेशाब करते देखना चाहते हो।
देखना भी चाहता हूं और आपकी पेशाब की दो चार बूंदे चखना भी चाहता हूं।
लेकिन ये कैसे हो सकता है?
हो क्यों नहीं सकता आप पेशाब करना शुरू तो करो।
और आंटी पेशाब करने बैठ गईं। उन्होने साड़ी ऊपर उठाकर पकड़ ली थी। मैने उनकी चूत पर हाथ रखा और उसे सहलाने लगा। तभी आंटी की चूत से पेशाब की गरम-गरम धार निकली और मेरे हाथ को भिगोने लगी। मैने अपनी उंगली से उनकी पेशाब को चखा। थोड़ा सा नमकीन स्वाद मुझे अच्छा लगा। तो मैने आंटी से पेशाब रोकने को कहा। उन्होने पूछा भी लेकिन मैने कुछ बोलने की जगह उनसे पेशाब रोकने को कहा। उन्होने पेशाब रोक ली तो मैने उनको खड़ा कर दिया और उनकी चूत के होंठो पर अपना मुंह रख दिया। आंटी मेरे इशारे को समझ गईं और झर-झर करके पेशाब करने लगी। अब उनकी गोरी गुदाज चूत से गरम पानी की धार सीधे मेरे मुंह में जा रही थी।
मैं धीरे-धीरे उनकी पेशाब पीने लगा। सच उनकी चूत से झरते हुए नमकीन गरम पानी को पीकर मजा आ गया। मैने उनकी पेशाब से ही उनकी गांड को धोया और उसे चाटने लगा। उनकी गोरी चिकनी जांघों को पकड़कर उनके चूतड़ों के बीच जीभ फिराने लगा। उनके गुदाज चूतड़ों के बीच जीभ फिराते हुए उनकी गांड के बीच में चाटने लगा। उनकी चिकनी गुदाज गांड के बीच जीभ फिराते हुए जब उनकी चूत के छेद में जीभ घुसेड़ देता तो आंटी जोर से अपनी चूत भींचती। जब उनकी चूत से पेशाब निकलना बंद हो गया तो मैने उनकी चूत को अपने होंठो के बीच दबा लिया और जोर-जोर से चुसने लगा।
उसके बाद मैं उनको बिस्तर पर ले आया और उनको घुटनों के बल बिस्तर पर उलटा लिटा दिया। अब उनकी चूत का छेद गांड के नीचे से नजर आ रहा था। मैने उनके गोरे चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ा और उनकी चूत में अपना लंड घुसेड़ दिया। उफ आंटी की चूत के अंदर लंड जाते ही सारा शरीर सिहर उठा। फिर मैने उनके चूतड़ों को थाम कर धक्के लगाने शुरू किए तो आंटी के मुंह से सिसकारी निकलने लगी। मेरा लंड उनकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। मैने अपनी एक उंगली उनकी गांड में घुसेड़ दी तो वे सिसक उठी। अचानक मैने अपना लंड उनकी चूत से निकाला तो वे तड़पकर बोली
हाय क्यों निकाल लिया। मेरी चूत की प्यास अभी नहीं बुझी है।
आपकी चूत की प्यास भी बुझा दूंगा पहले जरा आपकी गांड का मजा लेकर तो देखूं। मैने उनकी गांड पर उंगली फिराते हुए कहा। फिर मैने अपनी लंड उनकी गांड के छेद पर रखा और धक्का दिया। मेरा लंड धीरे-धीरे उनकी गांड में घुसने लगा तो वे कसमसा उठी। मेरा लंड पूरा का पूरा उनकी गांड में जा चुका था तथा मेरी जांघे उनके चूतड़ों से टकरा रही थी। मैने धीरे-धीरे धक्का मारना शुरू किया तो आंटी आहें भरने लगीं। मैने एक हाथ से उनकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। मेरी एक उंगली उनकी चूत के छेद मे घुस गई और मैं उंगली अंदर बाहर करने लगा। इधर मेरा लंड उनकी गांड में अंदर बाहर हो रहा था तथा हर धक्के के साथ उनके गद्देदार चूतड़ मेंरी जांघों से टकराते। इसके बाद मैने फिर से लंड उनकी चूत में डाल दिया और अचानक अपनी स्पीड बढ़ा दी और थोड़ी ही देर बाद मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी छूटी। मैने कहा,
मैं गया आंटी। अपनी चूत को जोर से भींच लो। मेरे इतना कहते ही उन्होंने अपनी चूत को भींच लिया और मेरा लंड उनकी चूत के छेद में कस गया। फिर वे वैसे ही पेट के बल लेट गईं और मैं उनकी उपर लेट गया। मेरा लंड सिकुड़कर अपने आप उनकी चूत से निकल आया था और चूतड़ों के बीच दबा पड़ा था। मैं काफी देर तक उनके ऊपर लेटा रहा। फिर उठा और उनके पास लेट गया। वे भी घूम गईं। आंटी मेरी तरफ देखकर मुस्करा दी। मैने उनसे कहा कि अगली बार चूत के बाल साफ करके आना ज्यादा मजा दूंगा। आंटी ने कहा ठीक है। इसके बाद मैने कपड़े पहने और अपने बिस्तर पर चला आया। उस दिन आंटी को चोदकर बड़ा मजा आया, मगर मैं उनकी चिकनी गोरी चूत को जी-भर कर चाटना चाहता था। यह मौका भी मुझे जल्दी ही मिल गया।

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 मैं फिर से मौका ढूंढने लगा जब वे हमारे घर आएं। जल्द ही वह दिन आ गया। उस दिन घर पर खाने का प्रोग्राम था। खाने में देर हो गई तो आंटी वहींरुक गई। हांलाकि वे चाहती तो जा सकती थी, लेकिन  वे तो शायद वहीं रुकना चाहती थी। तभी तो मेरी तरफ देखकर मुस्करा दी। रात में सबके सोने के बाद मैं आंटी के बिस्तर पर पहुंचा। वे मेरा ही इंतजार कर रहीं थी। मैं सीधे उनके बगल में लेट गया और उनके होंठो को चूम लिया। उन्होंने आंखे खोल दी और मुस्करा पड़ी। मेरे कान में धीरे से बोली,
आज मैंने अपनी चूत के बाल साफ कर लिए हैं। अब बताओ क्या मजा देना चाहते हो। मैने जल्दी से आंटी की साड़ी ऊपर सरकाई और उनकी चड्ढी पर हाथ रख दिया। उनकी चड्ढी के ऊपर से ही अहसास हो रहा था कि उनकी चूत एकदम सफाचट है। मै नीचे की तरफ पहुंचा और उनकी चड्ढी सरका दी। उनकी चिकनी चूत पर हाथ फेरते ही मैं पागल हो गया। मैने झुककर उनकी चूत को चूम लिया और चूमता ही चला गया। उनकी चिकनी चूत को चूमकर मजा आ गया। मैने उनकी चूत को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगा। आंटी के मुंह से जोर-जोर सिसकारी निकलने लगी। मेरा एक हाथ उनके चूतड़ों के नीचे पहुंच चुका था। उनकी गांड की चिकनाई को महसूस कर मेरा लंड और भी सख्त हो गया। मैने आंटी की गांड में उंगली से सुरसुरी की तो महसूस हुआ कि उन्होंने अपनी गांड भी साफ कर रखी थी। मैने उनकी टांगो को उठाया और उनकी गांड को चूम लिया। फिर मैने उनको उलटा किया और उनकी गांड को चूमने लगा। चूमते-चूमते उनकी गांड के बीच जीभ से चाटने लगा। गांड को चूमते चाटते हुए मैं उनकी चूत का नमकीन स्वाद लेने को बेताब हो गया।
मैने उनसे कहा कि आपकी पेशाब चखने का मन कर रहा है।
वे हंस दी और कहा तो चलो बाथरूम।
हम दोनों बाथरूम में आ गए। मैने आंटी को पूरा नंगा कर दिया और खुद भी नंगा हो गया। इसके बाद आंटी को खड़ा करके उनकी चूत पर मुंह लगा कर नीचे बैठ गया? आंटी झर-झर कर पेशाब करने लगी जो सीधे मेंरे मुंह मं जा रही थी। नमकीन पेशाब को पीकर मैं मस्त हो गया। मैं पेशाब मुंह में भरकर उनकी गांड पर पिचकारी मारने लगा। आंटी की पेशाब खतम हुई तो मै उनकी चूत को मुंह में भरकर चूसने लगा और उनकी गांड को जीभ से चाटने लगा। उनकी गांड के  छल्ले को मुंह में लेकर चूसने में बड़ा मजा आ रहा था। काफी देर तक आंटी मेरी इस हरकत से सिसकती रही।
फिर मैं उठा और उनसे कहा कि मुझे भी पेशाब आ रही है। आप चखेंगी नमकीन पानी, बड़ा मजा आएगा।
आंटी राजी हो गई। वे नीचे बैठ गई और मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुंह के समाने लगा लिया। मैं पेशाब करने लगा। पेशाब सीधे उनके मुंह से टकराई और उनका चेहरा भीग गया। उन्होंने लंड को  मुंह में भर लिया और चुसक-चुसककर पेशाब पीने लगी।
फिर बोली रुको।
मैने कहा क्या हुआ।
उन्होंने कहा कि मेरी चूत अपनी पेशाब से गीली करो।
मैने कहा ठीक है मगर दूसरे तरीक से।
कैसे उन्होंने पूछा तो मैने उन्हें घुमाया और झुका दिया। अब उनकी खुली हुई गांड मेरे सामने थी और नीचे से चूत का छेद नजर आ रहा था। मैने उनकी गांड में पेशाब करना शुरू किया। पेशाब की गर्म धार उनकी चूत को भिगा रही थी। फिर मैने उनकी चूत में लंड घुसेड़ दिया और अंदर ही पेशाब करने लगा तो आंटी ने जोर की सिसकारी ली। चूत के अंदर गर्म पेशाब को महसूस कर वे मस्त हो गई। मैने अपना लंड निकाला और उनकी चूत से मेरी पेशाब बहने लगी। वे घूम गईं थीं और मुझे देखकर मुस्कुरा दी। तूने तो आज खुश कर दिया। सच ऐसा मजा आज तक नहीं आया। चल अब जल्दी से मेरी चूत की उस प्यास को बुझा दे जो अभी तूने लगाई है।
इसके बाद हम बिस्तर पर आ गए। मैं उनके ऊपर लेट गया और चूत में लंड घुसेड़ दिया। अब मैं उनकी चूत मार रहा था। वे भी हर धक्के पर अपनी गांड ऊपर उठा देती। मैने उनकी चूंची मुह में ली और एक उंगली उनकी गांड में घुसेड़ दी और फिर जोर से धक्के मारने लगा। मेरी उंगली उनकी गांड में अंदर बाहर हो रही थी और लंड उनकी चूत में। फिर मैने अपना लंड निकाल लिया तो वे सवालिया नजरों से देखने लगी। मगर मैने कुछ कहा नहीं बल्कि उन्हें उलटा करते घुटनों के बल खड़ा कर दिया। इससे उनकी गांड फैल गई और उसका भूरा छेद नजर आने लगा। मैने उनकी गांड पर मुंह रख दिया और उसे चाटने लगा। मेरे थूक से उनकी गांड गीली हो गई तो मैने अपना लंड उनकी गांड के छेद पर रख दिया। वे बोलीं,
साले आराम से करना। यह चूत नहीं गांड है। लंड जाने पर फट जाती है।
मैने कहा चिंता मत करो आंटी, मैं जितने प्यार से चाट रहा था, उतने ही प्यार से मारूंगा भी।
यह कहकर मैं धीरे-धीरे अपना लंड उनकी गांड में घुसडऩे लगा। वे सिसक रही थीं। धीरे-धीरे पूरा लंड उनकी गांड के अंदर था और फिर मैने हौले-हौले अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया। उनकी टाइट गांड में मेरा लंड अंदर बाहर हो रहा था और मुझे लग रहा था कि जैसे मैं जन्नत की सैर कर रहा हूं। मेरी एक उंगली उनकी चूत पर पहुंच गई और चुत के बीच सुरसुरी करने लगा। आंटी मस्ती में सिसकारी भर रही थीं। अचानक मेरा शरीर ऐंठने लगा और मेरे लंड ने लावा उगल दिया, जो उनकी गांड में गिरा। आंटी बोली,
हो गया तेरा तो। चल अब हट। तूने तो आज मेरी चूत और गांड दोनों का कचूमर निकाल दिया। आज के लिए इतना काफी है।
बस इसके बाद फिर कभी आंटी के साथ वासना का खेल खेलने का मौका नहीं मिल पाया, मगर वो दो रातें आज भी मेरी जिंदगी की सबसे हसीन रात हैं।

the end
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