चांदनी रात में भाभी का जिस्म..1


यह कहानी बताने से पहले मैं आप लोगों को एक बात बता देना चाहता हूं कि मैं बचपन से ही आंटियों, भाभियों, दीदीयों, सड़क पर आने-जाने वाली लड़कियों के जिस्मों को घूरा करता हूं और अपनी आंखों से एक्स-रे का काम लेते हुए कपड़ों के अंदर तक झांकने की कोशिशों में लगा रहता। कपड़ों के ऊपर से बता देता हूं कि किसके स्तन किस आकार के होंगे, किसकी योनि का कटाव कैसा है और किसके नितंब कितने चौड़े हैं।
खैर यह कहानी मेरे घर की है, मेरी एक रिश्तेदार की है, जिन्हें मैं अकसर वासना की नजरों से ताकता था और एक दिन किस्मत मुझ पर मेहरबान हो ही गई। यहां मैं उन्हें भाभी ही कहूंगा। 30-32 साल की भाभी यूं तो थी सांवली मगर उनके जिस्म का कटाव मुझे हमेशा उनकी ओर खींचता था। उनके पतले होंठ, नशीली आंखें, तने हुए स्तन और पतली कमर के नीचे चौड़े नितंब। मैने कई बार कोशिश की कि वे मुझे नोटिस करें। मैं उनसे मजाक-मस्ती करता, बातें करता और सोचता कि कब इस शरीर को बिना कपड़ों के देख पाउंगा। वे मेरी भावनाओं से अनजान और मैं उनके आसपास मंडराया करता।
ये घटना उस रात की है, जिस रात मैने भाभी के जिस्म से जी भरकर खिलवाड़ किया और मेरे लिंग ने रातभर उन्हें सलामी दी। गांव में गर्मियों में खुले में ही सोया जाता। भाभी का घर हमारे घर से लगा हुआ ही है और आंगन तो जुड़े ही हैं। बस हलकी सी दीवार बीच में है, जिसे आसानी से फांदा जा सकता है।
तो हुआ यूं कि मैं एक रात किसी की शादी समारोह से काफी देर से घर लौटा। दरवाजा खटखटाया तो मेरे घर में तो कोई नहीं उठा, कुछ देर बाद उन्हीं भाभी ने अपने घर का दरवाजा खोल दिया। मैने उन्हें देखा वे बेतरतीबी से साड़ी लपेटे खड़ी थी।
मुझसे बोलीं, शीनू… मेरे घर का नाम है यह….
मैने उनकी तरफ देखा, तो वे इशारा करते हुए कह रही थीं, इधर से ही आ जाओ। घर में सब सो रहे हैं।
मै भी बेहिचक उनके दरवाजे की तरफ बढ़ गया। आधी रात का वक्त था, सो चारो तरफ अंधेरा पसरा था। उनके घर के अंदर से लालटेन का प्रकाश बाहर झांक रहा था। उसी हलके प्रकाश में मैने उन्हें देखा तो मन में फिर से हलचल सी होने लगी। वे सोते हुए उठीं थीं और उनकी आंखों में नींद की खुमारी थी। उनके आधे घुंघराले बाल माथे पर लहरा रहे थे और साड़ी उनके ब्लाउज को ढंकने की नाकाम सी कोशिश कर रही थी। उन्हें देखकर कुछ पल के लिए तो मैं सब भूल गया, लेकिन अपनी भावनाओं पर काबू कर लिया।
मैं उनके घर में घुसा। वे दरवाजा बंद कर पीछे-पीछे आ गईं। मैने आंगन के बीच की दीवार फांदी और अपने कमरे की तरफ बढ़ गया। कपड़े बदलकर बाहर निकला तो मैने देखा भाभी अपनी साड़ी उतारकर खूंटी पर टांग चुकी हैं और पेटीकोट और ब्लाउज में ही अपनी खाट की तरफ बढ़ रही हैं। एक पल को मेरी आंखें उनकी नजरों से टकराई। मैं एकदम से झेंप सा गया और नजरें झुका ली। भाभी के चेहरे पर आई हलकी मुस्कान को मैने देख लिया था। मेरा बिस्तर भी आंगन के एक कोने में जहां दीवार है, लगा था। मैं अपने बिस्तर पर लेट गया और भाभी का पेटीकोट और ब्लाउज वाला रूप मेरी आंखों में घूम रहा था।