चांदनी रात में भाभी का जिस्म…2


बिस्तर पर पड़े-पड़े करवटें बदल रहा था। मुझे नींद नहीं आ रही थी। आंखों में भाभी का रूप घूम रहा था और मेरा लिंग निक्कर को तंबू बनाए हुए था। काफी देर तक मैं बिस्तर पर उठा-पटक करता रहा। जब वासना का खुमार सहन से बाहर हो गया तो मैं उठ गया। मैने सोचा बाथरूम में जाकर अपने हाथ से ही लिंग की उत्तेजना को शांत कर लूं। मैं बाथरूम की तरफ बढ़ा ही था कि नजर भाभी की खाट पर गई। भाभी सीधी लेटी हुई थीं और सांसों के साथ स्तनों में स्पंदन हो रहा था। एक लय में उठते और गिरते। हलकी चांदनी में उनका सांवला पेट चमक रहा था। यह देखकर तो मैं जड़ हो गया।
मेरे मन में अचानक ही वासना की इतनी तेज लहर उठी कि मैं अनजाने की दीवार फांदकर उनकी खाट के पास जाकर खड़ा हो गया। उनके स्तनों की थिरकन ज्यादा करीब से देख पा रहा था। उनके चिकने सपाट पेट के निचले हिस्से पर बंधा उनकी पेटीकोट टांगों के जोड़़ पर चिपक सा गया था। उनकी योनि का कटाव भी दिख रहा था। मैं अपने होशो-हवास खो बैठा। मुझे पता नहीं क्या हो गया कि मैं झुका और अपना चेहरा उनके स्तनों के बिल्कुल करीब ले गया। उनके पसीने की मादक गंध मुझे मदहोश कर रही थी।
मैं कुछ देर तो यूं ही उन्हें निहारता रहा। उनकी सांसों की एक जैसी लय से मुझे यकीन हो गया कि वे गहरी नींद में हैं। फिर भी तसल्ली करने के लिए मैने अपनी उंगली उनके एक स्तन से छुआकर देखा। उंगली को हौले से उनके स्तन में चुभाया। उनकी सांसों में कोई अंतर नहीं आया। अपने हाथ को उनके स्तन पर रख दिया और धीरे दबाया। वे वैसी ही सांसे ले रही थीं। उनके पतले होंठों पर हलकी सी मुस्कान थी, जैसे वे कोई सपना देख रही हों। अब मैं तसल्ली के साथ उनकी खाट के पास घुटनों के बल बैठ गया।
मैने अपना एक हाथ उनके स्तन पर वैसे ही रखे रहने दिया और दूसरा हाथ उनके चिकने पेट पर रख दिया। उनकी सांसों की लय से मेरा हाथ भी हरकत कर रहा था। भाभी के चिकने पेट पर हौले से हाथ फिराया। मेरा पूरा शरीर डर और उत्तेजना के मारे कांप रहा था। लिंग इतना ज्यादा तन चुका था कि ऐसा लग रहा था कि टूट जाएगा। मैने उनके चेहरे की तरफ देखा। वे अब भी वैसे ही हलकी सी मुस्कान के साथ सो रही थीं। अब मेरा हाथ पेट से नीचे सरकता हुआ, उनकी टांगों के जोड़ तक जा पहुंचा। वहां पेटीकोट के नीचे उनकी योनि थी। मैने हाथ से हलके से योनि को छुआ। मेरा पूरा शरीर उत्तेजना के मारे झनझना उठा।
उनके शरीर में जरा भी हलचल नहीं हुई। तब मैने अपना पूरा हाथ पेटीकोट के ऊपर से ही उनकी योनि पर रख दिया। मेरा लिंग उत्तेजना के मारे निक्कर फाड़कर निकलने को बेताब था। मैने दूसरा हाथ उनके स्तन से हटाया और लिंग को बाहर निकाल लिया। शिश्न मुंड से चिकनाई फूट रही थी। लिंग को हाथ से कसकर दबा लिया और दूसरे हाथ से उनकी योनि पर हलके से दबाया। मुझे अहसास हो गया कि पेटीकोट के नीचे चड्ढी नहीं पहन रखी थी उन्होंने। इस अहसास ने मेरे अंदर उत्तेजना को और भर दिया। मैने एक बार फिर उनके चेहरे की तरफ देखा। चेहरे के भावों में कोई अंतर नहीं आया था।
मैने घुटनों तक सरक आए पेटीकोट में अपना हाथ डाल दिया। उनकी जांघों को हलके से स्पर्श किया और हाथ बाहर निकाल लिया। मैं बहुत ज्यादा डर रहा था। अगर भाभी जाग जाती और मुझे इस हालत में अपनी खाट के पास देख लेती तो पता नहीं क्या होता। कहते हैं न कि एक बार वासना सिर पर सवार हो जाए तो रिश्ते-नातों, बदनामी का कोई डर नहीं रह जाता। मेरे साथ भी यही हो रहा था। मैने अपना हाथ फिर से उनके पेटीकोट में डाला और उनकी एक जांघ पर रख दिया। इस बार तुरंत नहीं हटाया बल्कि कुछ देर रखा रहने दिया। उंगली से उनकी जांघ को हलके से सहला भी दिया। उनके शरीर में कोई हलचल नहीं हुई।
अब मेरा डर दूर हो रहा था। मेरा दिल ऐसे धड़क रहा था कि मैं खुद आवाज सुन सकता था। मैने हाथ को जांघ पर ही ऊपर की तरफ सरकाया। उनकी जांघ की चिकनाहट पर सरकता हुआ मेरा हाथ ऊपर बढ़ रहा था और फिर मेरी उंगलियों ने उसे स्पर्श किया जिसके लिए बेचेनी चरम पर थी। उनकी योनि से उंगली छू गई और मुझे झटका सा लगा। मेरा लिंग और सख्त हो गया। मैने और जोर से उसे दबा लिया। मैने हाथ को उनकी योनि पर धीरे से रख दिया। उनकी योनि एकदम चिकनी थी। थोड़े से रोएं थे, जैसे कुछ दिन पहले उन्होंने बाल साफ किए होंगे और अब केवल रोएं बचे थे। मैने हाथ उनकी योनि पर वैसे ही रखा रहने दिया। मेरे दिल की धड़कनें अब हथौड़े की तरह मेरी ही कानों में गूंज रही थीं।
मैने अपना हाथ बाहर खींच लिया। थोड़ी देर यूं ही उनकी खाट के पास बैठा रहा। लिंग जोर से दबा रखा था और मैं चाहता था कि इसी समय इसे हिलाकर उत्तेजना निकला दूं, लेकिन अभी तो भाभी की योनि का दीदार करना बाकी था। मेरी धड़कनें और सांसें कुछ सामान्य हुईं तो मैने झुककर भाभी के पेट को चूम लिया। फिर धीरे से चेहरा ऊपर कर उनके स्तन को ब्लाउज के ऊपर से ही चूम लिया। थोड़ा आगे को सरका और अब मेरा चेहरा उनके चेहरे के एकदम करीब था। मैने सांस रोक सी ली थी। उनकी सांसें मुझे चेहरे पर महसूस हो रही थी। मैने एक उंगली उनके पतले सांवले होंठों पर फिराई और फिर झुककर चूम लिया। उनकी सांसों की महक ने मुझे पगला दिया। मैं चाहता था होंठों को उनके होंठ से हटाऊं ही नहीं, लेकिन मैं रिस्क नहीं ले सकता था। इसलिए एक बार चूमकर पीछे हो गया।